लंचबॉक्स - प्यार
फोन बजता है
प्रज्ञा : हेलो
एक आवाज : हेलो आप प्रज्ञा बात कर रही हो?
प्रज्ञा : हां आप कौन
निहारिका : मैं निहारिका बात कर रही हूं
प्रज्ञा :कौन निहारिका
निहारिका: मैं नितेश की गर्लफ्रेंड हूं
दोनों तरफ एक सन्नाटा
प्रज्ञा :पर नितेश तो मेरा है ,वह तो मेरा बॉयफ्रेंड है
निहारिका {थोड़ा चिल्लाते हुए) : चुप रहो तुम नहीं मैं हूं और सुनो उसका पीछा छोड़ दो
प्रज्ञा : नहीं वह मेरा है
यह कहानी मेरी( प्रज्ञा) की है| उस दिन हम दोनों में काफी झगड़ा हुआ वह बोल रही थी कि नितेश मेरा है और मैं बोल रही थी कि नितेश मेरा है|
मैं और नितेश स्कूल के दिनों से साथ थे| स्कूल के समय हमारा कोई खास मेलजोल नहीं था, पर कॉलेज के दिनों में वह एक दिन मेरे घर आया और उस दिन हमारे नंबर एक्सचेंज हुए कुछ दिन बाद उसने मुझे प्रपोज किया| उसकी बातें सुनकर पता नहीं क्या हुआ मैंने कुछ देर में ही उसको "हां" बोल दिया मैं नितेश को लेकर कुछ उलझी थी पर मैं बहुत खुश हुई थी|
निहारिका से बात होने के बाद में बहुत परेशान थी मैं बहुत रोई कुछ देर बाद मैंने नितेश को फोन किया
नितेश : हां बोलो
मैं 5 मिनट तक चुप रही हिम्मत ही नहीं हुई कि कुछ बोल सकूं
नितेश : चुप क्यों हो बोलो ना
प्रज्ञा : मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं
नितेश : तुम मेरे लिए सिर्फ टाइमपास थी प्रज्ञा मैंने तुमको इतनी वैल्यू थी पर तुम शायद उस वैल्यू के लायक ही नहीं थी|
प्रज्ञा : मैं गलत हूं नितेश सुनो तो
नितेश : मुझे तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखना
उसने फोन काट दिया मेरी पलटकर फोन करने की हिम्मत ही नहीं हुई | हम दोनों के ही उस समय सेमेस्टर एग्जाम चल रहे थे तो मैंने भी चुप ही रहना ठीक समझा
लंचबॉक्स - प्यार
हम दोनों ही अलग-अलग शहरों में रहते थे | रोज सुबह उठकर dekhti थी कि शायद आज उसका गुड मॉर्निंग का मैसेज आया हो पर वह तो शायद भूल चुका था| शायद वह गलत नहीं था क्योंकि लड़का था तो चार-पांच गर्लफ्रेंड बनाना उसका काम था, स्कूल में भी लड़कियां उसके पीछे रहती थी| शायद गलत मैं थी क्योंकि पिछले 2 महीनों में मैंने उसको काफी इग्नोर किया था क्योंकि मेरे घर में कुछ ऐसा हुआ था जिसकी वजह से मैं चाह कर भी उससे बात नहीं कर पा रही थी और शायद मैं उससे दूर भी होना चाह रही थी या शायद नहीं भी होना चाह रही थी| एक बात और थी मेरी मम्मी को मेरा लड़कों से बात करना बिल्कुल पसंद नहीं था पर जब नितेश का कॉल आता था तो मम्मी उठा भी लेती थी और फिर भी कुछ नहीं बोलती थी पता नहीं क्या था?
खैर ................
सेमेस्टर एग्जाम खत्म हो चुके थे मैं चाह कर भी नितेश को दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी| उसको कॉल करने की भी हिम्मत नहीं थी ,पर एक रात मैंने हिम्मत करके कॉल किया फोन नहीं लगा शायद नंबर ब्लॉक कर दिया था| हार कर मैंने अपनी बड़ी बहन को बताया कि नितेश गुस्सा है| वह पहले भी उससे बात कर चुकी थी क्योंकि हमारे बीच में जब भी लड़ाई होती थी तो वही संभालती थी| जिस दिन मैंने दीदी को बोला उस रात में बहुत बेचैन थी क्योंकि मुझे रात भर बस एक ही बात खाए जा रही थी कि मैं नितेश को किसी के भी साथ नहीं बांट सकती मेरे चेहरे का रंग उड़ चुका था |उसका बच्चों की तरह बात करना, सुबह- सुबह गुड मॉर्निंग बोलना, मेरे लिए हमेशा कुछ ना कुछ प्यारी-प्यारी लाइंस लिखना, उसका गालियां देना सारी चीजें बहुत याद आ रही थी |चाह कर भी नहीं सो पा रही थी बस दिमाग में एक ही बात थी नितेश सिर्फ मेरा है लंच बॉक्स नहीं है मै उसको किसी के भी साथ शेयर नहीं कर सकती |
2 दिन बाद दीदी ने बोला नितेश को कॉल कर लो
लंचबॉक्स - प्यार
मैं बहुत खुश थी मैंने उसको कॉल किया उसने कॉल उठाई पर वह बहुत फॉर्मल था| थोड़े दिन में मैंने सब कुछ संभाल लिया मुझे पता था कि आज भी वह निहारिका से बात कर रहा है, पर मैं कुछ ना बोली धीरे-धीरे सब कुछ नॉर्मल हो गया था सब कुछ ठीक चल रहा था
पर 1 सुबह ..................
उसका नंबर स्विच ऑफ था ,फेसबुक खोला तो अकाउंट ही गायब था| मैं समझ गई थी कि इंजीनियरिंग के साथ वह सब कुछ खत्म कर गया है क्योंकि वह पहले भी बोलता था कि मैं किसी भी पास्ट या प्रेजेंट को फ्यूचर में लेकर नहीं जाऊंगा|
कुछ दिन बाद अभी कुछ दिन पहले वह फिर मुझे फेसबुक पर दिखा वह बदल चुका है| फेसबुक से पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है| उसकी हर एक पोस्ट हो मैं बहुत ध्यान से पढ़ती हूं शायद मैं अब कुछ भी नहीं सोच सकती क्योंकि अब मेरा प्यार लंचबॉक्स भी नहीं रह गया था अब त पूरा किसी और का हो गया है |
एक आह भरी सांस...............
kapil sharma
30-Mar-2021 06:58 PM
behtreen kahani nishant ji
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Author sid
29-Mar-2021 10:12 AM
बेहतरीन कहानी सर , आप इस तरह से लिखते हो के लगता है सब सामने है हो रहा है , ये बात बहुत कम है लेख़क में होती है
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Er. Nishant Saxena
29-Mar-2021 09:38 PM
thank you for your motivation.
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